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जी हो ए ही रे दिवलो इन्द्र लुहार नऽ घड़ियो / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जी हो ए ही रे दिवलो, इन्द्र लुहार नऽ घड़ियो
जेमऽ पुरव्यो सवा घड़ो तेल, सोन्ना की डांडी दिया हो बळऽ
जी हाँ ए ही रे दिवलो, मजघर मऽ धर्यो,
मजघर बठी म्हारी सदासुहागेण माय,
सोन्ना की डांडी दिया हो बलळऽ
जी हो ए ही रे दिवलो, मनऽ आरती मऽ धर्यो,
आरती धरऽ म्हारी सदासुहागेण बैण,
सोन्ना की डांडी दिया हो बलळऽ
जी हो ए ही रे दिवलो, मनऽ पटसाळ मऽ धर्यो,
पटसाल खेलऽ म्हारा नारा ताना बाळ,
सोन्ना की डांडी दिया हो बलळऽ
जी हो ए ही रे दिवलो, मनऽ सभा मऽ धर्यो,
सभा मऽ बठ्या छे समधी लोग,
सोन्ना की डांडी दिया हो बलळऽ