भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जुगनू / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
- उठी ऐसी घटा नभ में
- छिपे सब चांद औ' तारे,
- उठा तूफान वह नभ में
- गए बुझ दीप भी सारे,
- उठी ऐसी घटा नभ में
मगर इस रात में भी लौ लगाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
- गगन में गर्व से उठउठ,
- गगन में गर्व से घिरघिर,
- गरज कहती घटाएँ हैं,
- नहीं होगा उजाला फिर,
- गगन में गर्व से उठउठ,
मगर चिर ज्योति में निष्ठा जमाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
- तिमिर के राज का ऐसा
- कठिन आतंक छाया है,
- उठा जो शीश सकते थे
- उन्होनें सिर झुकाया है,
- तिमिर के राज का ऐसा
मगर विद्रोह की ज्वाला जलाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
- प्रलय का सब समां बांधे
- प्रलय की रात है छाई,
- विनाशक शक्तियों की इस
- तिमिर के बीच बन आई,
- प्रलय का सब समां बांधे
मगर निर्माण में आशा दृढ़ाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
- प्रभंजन, मेघ दामिनी ने
- न क्या तोड़ा, न क्या फोड़ा,
- धरा के और नभ के बीच
- कुछ साबित नहीं छोड़ा,
- प्रभंजन, मेघ दामिनी ने
मगर विश्वास को अपने बचाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
- प्रलय की रात में सोचे
- प्रणय की बात क्या कोई,
- मगर पड़ प्रेम बंधन में
- समझ किसने नहीं खोई,
- प्रलय की रात में सोचे
किसी के पथ में पलकें बिछाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?