जुगल बर परम मधुर रमनीय।
सहज मार-रति-मद-मर्दन छबि ललित, कलित, कमनीय॥
बदन-कमल नित सहज प्रड्डुल्लित, सरस मधुर मुसुकान।
बरबस हरत मुनींद्र बिजित-मन बीतराग तपवान॥
जुगल बर परम मधुर रमनीय।
सहज मार-रति-मद-मर्दन छबि ललित, कलित, कमनीय॥
बदन-कमल नित सहज प्रड्डुल्लित, सरस मधुर मुसुकान।
बरबस हरत मुनींद्र बिजित-मन बीतराग तपवान॥