भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जुगां जूनी है नुंवी बात कोनी / सांवर दइया
Kavita Kosh से
जुगां जूनी है नुंवी बात कोनी
आ म्हारी ऐकलै री आथ कोनी
तगारी ढोवै मर्या अणजलम्या
बोलो कुण कैवै करामात कोनी
इकतीस तारीख अर महीनो मार्च
दिन, दिन कोनी रात, रात कोनी
खून सूं लथपथ चिड़ी पड़ी आंगणै
बै कैवै- कोई खास बात कोनी
हवा मोकळी मोकळो उजास अठै
च्यार भींतां अर एक छात कोनी