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जुदिथ बुचानिन और मेरे बीच / विष्णुचन्द्र शर्मा
Kavita Kosh से
जुदिथ ने कहा:
सागर है बर्न्स का कवि!
मोहक है बर्न्स की भाषा!
रोज बजा करती है बर्न्स की लोकधुन
पूरे स्कॉट में!
मेरा, कवि खोजता रहा:
कहाँ कहाँ बर्न्स की प्रेमिका है!
कहाँ कहाँ कविता के बर्न्स की!
बुचानिन के कहा:
बर्न्स का संगीत हर जवान युवती को नचाता है।
बर्न्स का संगीत बूढ़ी आँखों में भी सिम्फनी बजाता है।
मैंने कहा:
बर्न्स मेरा यात्री है
सम्मोहक!
-3.6.86