भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जुद्ध / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
लड़तो
रयो है
आद स्यूं
मिनख
जुद्ध
पण बदळता रया
कारण
पैली लड़ती
शरीर री भूख
अबै लड़ै
मन री भूख
पैलां लड़णियां रो
साचो नारो हो
जय,
अबै लड़णियां रो
झठो नारो है
शांति !