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जुनूँ-पसंद हरीफ़-ए-ख़िरद तो हम भी हैं / रऊफ़ खैर
Kavita Kosh से
जुनूँ-पसंद हरीफ़-ए-ख़िरद तो हम भी हैं
अदू जो नेक नहीं है तो बद तो हम भी हैं
हज़ार सिफ्र सही इक अदद तो हम भी हैं
तुम्हारे साथ अज़ल-ता-अबद तो हम भी हैं
अब इतना नाज़ समंदर-मिज़ाजियों पे न कर
कि अपने आप में इक जज़्र-ओ-मद तो हम भी हैं
हमें कुबूल कहाँ कम-सवाद करते हैं
ख़राब-ए-मश्ग़ला-ए-रद्द-ओ-कद तो हम भी हैं
हम अपने आप से आगाह इस क़दर तो न थे
चलो निशाना-ए-रश्क-ओ-हसद तो हम भी है