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जुनूँ के जोश में फिरते हैं मारे मारे अब / 'हफ़ीज़' जौनपुरी

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जुनूँ के जोश में फिरते हैं मारे मारे अब
अजल लगा दे कहीं गोर के किनारे अब

गया जो हाथ से वो वक़्त फिर नहीं आता
कहाँ उम्मीद कि फिर दिन फिरें हमारे अब

अजब नहीं है कि फिर आज हम सहर देखें
कि आसमान पे गिनती के हैं सितारे अब

जब उस के हाथ में दिल है मिरी बला जाने
मिले वो पाँव से या अपने सर से वारे अब

इनायतों की वो बातें न वो करम की निगाह
बदल गए हैं कुछ अंदाज़ अब तुम्हारे अब

ये डर है हो न सर-ए-रहगुज़ार हँगामा
समझ के कीजिए दरबाँ से कुछ इशारे अब

‘हफ़ीज’ सोचिए इस बात में हैं दो पहलू
कहा है उस ने कि अब हो चुके तुम्हारे अब