जुमला / सन्नी गुप्ता 'मदन'
अबकी चले विकास कै आँधी
केहू न अब छूटा रहि जाई।
छोड़ा रोटी नोन कै चक्कर
अबकी से तौ कटे मलाई।
जेतना बची बाय झोपड़िया
ओका महल बनाय क छोड़ब।
जाति-धर्म कै भेदभाव बिन
सबसे आपन रिश्ता जोडब।
यनके राजे मा सुख से तौ कभौ मिलै का नींद नाय बा।
खाली गरजत हये यै भैवा बरसै कै उम्मीद नाय बा।
करै धरै का कुछ न बाटै
झूठै दुनियक भाव बनावै।
जइसे कउनो गूंग बहिर का
दुनिया भर कै झूठ सुनावै।
ई कुल जेतना जनता बाटै
यनका खुब चूतिया बनावा।
यनकै छोर लिहा झोपड़ियो
ओसे आपन महल बनावा।
काम गिनावत बाटे लेकिन यनके लगे रसीद नाय बा।
खाली गरजत हये यै भैवा बरसै कै उम्मीद नाय बा।
पिछले पाँच साल यै लूटे
अबकिव रचिहै उहै कहानी।
जान-जान अब मत कर भैवा
उहै पुरनकी फिर नादानी।
अबकी वोट केहू का मत द्या
तू नोटा कै बटन दबावा।
एक तरफ से कुल नेतन का
सबही मिलकै सबक सिखावा।
यनके मुहे बखान बा आपन केहू चश्मदीद नाय बा।
खाली गरजत हये यै भैवा बरसै कै उम्मीद नाय बा।