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जुमि गेल सब बरियाती जखनी / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जुमि गेल सब बरियाती जखनी
सात सय पलटन ड्योढ़ीमे छेलै
घोरूआ माटि मोती देखै छै
नौ गज लम्बा छ गज चौड़ा
धोबीया पाट सन सीना देखैय
ढ़किया सन सन मुड़ी देखैय
ढ़ोकासन-सन आँखि देखैय
खुरपासन सन नाक देलै छै
ऐढ़हल ऐढ़हल बाँहि देखै छै
थर थर-थर थर ड्योढ़ी कँपै छै
आब भरोसवा राजा सूरजा के होइ छै-2
मनमे विचार राजा सूरजा करैय
बहुत बरियाती सिंघलदीप जुमलैय
सात दुलहा के मुड़ मारलीयै
एहेन खलीफा हम कहियो ने देखैलीयै।
सहजे दिन राजा सूरजा मानै छै
सहजे दिन राजा सूरजा मानि लेलकै
पानि ओछाइन सब बरियाती के मिलै छै।
बान्हल मड़बा बन्हले छेलै
तब जवाब राजा दै छै
सुन सुन हौ देवता नरूपिया
फूल हौ सेजिया देवता के मिललै
हा सोना कुर्सी मोती के मिलैय
आदर भाव ड्योढ़ीमे होइये
तखनी लहरिया मोती के चढ़लै
सुनि ले राजा राजा दरबी
पहिले अगुआ हजमा पठौलियै
तेकरा केना जेलमे देलह
बान्हल हजमा जेलमे कनै छै
बाप से भेंट राजा तोरा करा देबौ हौ।।
बात-बातमे झगड़ा बझि गेल
उठि गेलै राजा कुर्सी पर से
खरूआँ नंगोटा डाँर लगाबैय
जहिना पहलवान खेलै अखराहा पर
तहिना मोतीराम ड्योढ़ी पर खेलै छै
एक बेर मोती जोड़ लगाबैय
सात हाथ ऊपरमे फेकैय
निचा से मोती लपकै छै
तरबा लहरिया मगज पर चढ़ैय
हाथमे तेगा दुलरा लै छै
सुन गे देवीया देवी असावरि
कनिके ऑडरबा मैया जखनी दऽ दीयौ गे।
एमरीय मुड़सुर डाँसे मारैय
तोड़े नाममे बलि चढ़ेबै
कते कनियाँ कुमार मैया केलकै
एमरी बदला मैया राजा के सधा लेबै गै।
एत्ते बात दुलरा मोती बोलैय
कोहबर घर से रानी संझा बोलैय
करजोड़ि कनियाँ जे लेलकै
सुनऽ सुनऽ हौ मामा सुनलय
जेहने बेटा तोहर छिअ
तेहने पुतोहुआ मामा हेबै
बाबू के जनमा मामा नै मारीयौ यौ।
हमर दिन तऽ सहजे मनेबै
एत्ते बात मोती सुनैछै
ऊपर नजरिया मोती खिराबै छै
नजरि पड़ि गेलै कनियाँ मुँह पर
सवा हाथ घोघ तनैय
हाथ के तेगबा मोती के रहि गेलै यौ।
कर जोड़ि के राजा कहै छै
बहुत लोहा दुनियाँ जँचलीयै
हमर प्रण आइ पुरा भेलऽ
हमर वचनियाँ सिंघलदीपमे मानि तेलीयै यौ।
सुनऽ सुनऽ हौ जल्दी पंडित बजबीयौ
दुलहा मड़बा पर लऽ जइयौ
अपना हाथ से कनियादान करबै यौ।।
एत्तेक बात राजा सूरजा बोलै
काशी जी से पंडित एलै
मड़बा पर जे पंडित जे गेलै
मड़बा पर दुलहा मँगाबै छै
एक जांघ पर दुलहा बैठल
दोसर जांघ पर कनियाँ बैठलै
हाथ पकड़ि के दान कराबैय
ब्याह रचा आइ सूरजा राजा देलकै
डोलीया फनाँ आइ राजा देलकै
बतीसो कहार राजा सजलकै
आगू पाछु बरियाती जाइ छै
तइ पाछा करिकन्हा जाइ छै
एक्के डोलीया पर बैठलै बनसप्ति
राज सतखोलिया के जतरा धेलकै
सब बरियाती महिसौथा गेलै
डोलिया गयलै राज सतखोलिया
ब्याह करिकन्हा के सतखोलियामे भऽ गेल
देवता नरूपिया महिसौथा गेलै
डोलीया फनाँ नरूपिया देवता गयलै हौ।।
हौ दादा नरूपिया महिसौथामे बैठलै
फलका ऊपरमे मोती गयलै
सात सय पाठा फलका पर खेलाबैय।