जूता या क़िताब? / राग तेलंग
ब्रांडेड कंपनी का जूता या किताब!
हाँ!
अब वक़्त आ गया है जब किताबों की तुलना जूतों से करनी पड़े
हाँ!
या तो यह तुम्हारी नीयत पर सवाल उठाना है
या फिर
यह किताबों और अगली पीढ़ी पर बनते तुम्हारे दायित्व व
उसके बोध के प्रति संदेह की अभिव्यक्ति है
या तो अभी इसी वक़्त
तुम्हें किताबों से होते हुए तय की गई
अपनी समूची जीवन यात्रा के बारे में ठीक तरह से सोच लेना है
या फिर
शिखर से नीचे की ओर किताबों की सीढ़ी की ओर देखना भर है
फिर तुम्हारे ऊपर है
तुम इस सीढ़ी को लात मार दो जूता पहनकर
या सहेजे रखो कभी वक़्त ज़रुरत के लिए
क्या सोच रहे हो !
ठीक है
तुम्हारा फैसला सिर माथे पर
माना बाज़ार की चीज़ों के प्रति लालच से उबरना मुश्किल ज़रुर है
ये जगमग
ये मोहक बुलावे
तुम्हें लगता है
तुम्हारे लिए हैं
तो तुम्हारे लिए सही
अब तो
तुम्हें ही तय करना है
जूता या किताब !