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जूते के फीते / नासिर अहमद सिकंदर

Kavita Kosh से
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धागों से मिलता-जुलता रंग-रूप
आकार
लंबाई
सूई में धागा डालना
जिस तरह सीखते बचपन में
सीखते उसी तरह
इसे भी पिरोना
जूते में
एक सिरा
ऊपर से सुराख में
फिर विकर्ण बनाता वही सिरा
आखिरी सुराख नीचे
अब समानान्तर
दाईं सुराख ऊपर
अंत में दोनों छोर
बराबर
अब
कई रंग कपड़े जैसे
पर जिस रंग
उस रंग धारा
कई रंग जूते भी
पर जिस रंग
उस रंग फीते
जूतों का नाता पांवों से
तो फीतों का
हाथों से
क्योंकि आपके हाथों ही
ये बंधते-खुलते
इस तरह आपके
भागम-भाग जीवन का
कुछ समय लेते
इनका बंधना भी अजब मोहक
कोई देखे तो लगे
फूल खिले
पड़े न गाँठ
एक सिरा खींचो
कि ये खुले
अब थोड़ी दूर जाना हो
या मीलों
किसी से मिलने
शादी-ब्याह
मौत-मिट्टी
या दफ्तर
सफर रेल का
या बस, वायुयान
या खुद का वाहन
जूते
आपके पांव तब तक टिकें
जब तक
हों
फीते कसे !