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जून लैकि तेरी बिन्दुली मा सजै द्यूलु / धर्मेन्द्र नेगी
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जून लैकि तेरी बिन्दुली मा सजै द्यूलु
समोदर तैं तेरी हथगुळी मा समैं द्यूलु
सब्बि गैणौं तैं धरती मा लैकि हे सुवा
बणै जंजीर तेरी नथुली मा गंठै द्यूंलु
द्वी नयारौं तैं लटुल्यूं का दगड़ बोटी की
फून्दा बणै तेरी धमेळी मा लटकै द्यूंलु
हैरा बुग्याळों तैं तेरी गातै चदरि बणौंलु
सौदा फूल तेरी खंडेळी मा गंछै द्यूंलु
अछ्यणम मूण तेरा खातिर धरीं 'धरम' न
तु बोलदी त पाण थमेळी मा लगै द्यूंलु।