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जेबें / कुमार कृष्ण

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वे अकसर रहती हैं किसी-न-किसी की प्रतीक्षा में
इन्तजार में ही कट जाती है उनकी पूरी उम्र
जिस दिन आते हैं उनके पास-
विमल जालान, रघुराम राजन, उर्जित पटेल
टाटा-बिड़ला हो जाती हैं जेबें

जेबों की होती हैं तरह-तरह की नस्लें
तरह-तरह की जातियाँ
पैंट वाली जेब, पायजामे वाली जेब
कमीज वाली जेब, कुर्ते वाली जेब
हमेशा बोझ में दबी बस्ते वाली जेब
दादा के पास थी इन सबसे अलग
दुनिया कि सबसे महफूज़ जेब-
उनके पास थी बनियाइन वाली जेब

दादा कि जेब में रहते थे तरह-तरह के मौसम
तरह-तरह के त्योहार
तरह-तरह के दुःख
थोड़ी-सी हिम्मत, ढेर सारा विश्वास
दादा कि जेब थी चलता-फिरता अजायबघर
रिश्तों की बहुत बड़ी अलमारी
विक्टोरिये के सिक्के और छेद वाले पैसे की रखवाली में
वहाँ रहता था हमेशा तैनात-
एक छोटा-सा चाकू
कभी-कभार एक आग की डिबिया
जिस दिन कटी शहर में दादा कि जेब
उस दिन हार गई एक किसानी धार
कटने के बाद भी अपनी अंतिम सांस तक
एक उम्मीद में जीती रही दादा कि जेब

पता नहीं कब कैसे किसलिए बनी होंगी जेबें
मैं नहीं जानता ठीक-ठीक जेबों का इतिहास
पर इतना जानता हूं-
अपने देश में औरतों की नहीं होती जेबें
धोतियाँ-साड़ियाँ ताउम्र जीती हैं जेबों के बिना
पर बखूबी जानती हैं वे जेबों की साजिशें
जानती हैं जेबों की हार-जीत
जेबों के सुख-दुःख
वे जानती हैं जेबों में सुराख करने की कला
उनको आता है-
भरी जेबों को खाली करना
आता है खाली जेबों को भरना

तमाम जेबें ज़मीन पर नहीं
खूंटियों पर सोती हैं
खाली रहने पर अपनी क़िस्मत पर रोती हैं
जेबें चाहे छोटी हों या बड़ी
हमेशा छुपे रहते हैं उनके कोनों में
बड़े-बड़े डर
जेबें प्यार हैं व्यापार हैं
चलता-फिरता बाज़ार हैं
जेबें हैसियत की रिश्तों की पहचान हैं
जेबें दुकान हैं मकान हैं
ईमान हैं स्वाभिमान हैं
सच कहूँ तो जेबें-
उड़ता हुआ भगवान हैं।