भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जेल की दीवार / लालसिंह दिल / सत्यपाल सहगल
Kavita Kosh से
जेल की दीवार से
जब पलस्तर की परत गिरती है
नीचे से निकलते हैं
दराती-हथौड़ों के निशान
मैं भी एक नया चित्र बनाकर आया हूँ
दराती-हथौड़े के साथ
नट कसने वाली चाबी
कि हम बहुत ढीले हैं
और
अन्धेरा रॉकेट की चाल चलता है।