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जैसांणौ / मीठेश निर्मोही
Kavita Kosh से
थारा ई थारी बोली लगावै
नड़ अर फड़ रै ओळावै!
बेचै थारौ मांन-गुमांन
संस्क्रति री छिब
भांत-भांत री
इदक
कळा जात-जात री
अर
चमगूंगा रै उनमांन ऊभौ
नीं बोलै
नीं चालै
थूं !