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जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ी / लैंग्स्टन ह्यूज़

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अरसा हुआ
अपना वह सपना शायद मैं भूल गया था
पर वह था मेरे साथ ही
सूर्य की तरह चमकीला

फिर वह दीवार उठी
आहिस्ता-आहिस्ता उठी
मेरे और मेरे सपने के बीच
आसमान तक उठी
वह दीवार और उसका साया भी उठा

मैं एक काला आदमी हूँ
मैं उसके साए में लेट गया
अब मेरे सपने की रौशनी नहीं थी
मेरे सामने, मेरे ऊपर
सिर्फ़ वह मोटी दीवार थी
सिर्फ़ उसका साया था

फिर मेरे हाथों ने
मेरे कले हाथों ने
उस दीवार को तोड़ दिया
और मेरे सपने तक पहुँच गए
अब इस अँधेरे को छिन्न-भिन्न करने में
आप मेरी सहायता करें

इस रात को ध्वस्त करने में
इस साए को ख़त्म करने में
सूर्य की हज़ार-हज़ार किरणों से
सूर्य के हज़ार-हज़ार सपनों से


मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय