भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जैसे आई है घर में बहार / ब्रजमोहन
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
जैसे आई है घर में बहार
सजन हमके मिल गईलीं चिठिया तोहार ...
तेरी पाती है मेरा कलेजा
बेच कर ख़ून तूने जो भेजा
उसमें है सारी दुनिया का प्यार ...
भूख से लड़के न टूट जाना
दो बखत पेट-भरकर के खाना
चुकता हो जाएगा सब उधार ...
तेरा शहर भी निकला धुएँ का
जैसे सूखा है पानी कुएँ का
है वहाँ भी वही मारा-मार ...
मेरे हाथों में ताक़त है तेरी
सारी दुनिया ही है जब अन्धेरी
क्यूँ न सुलगेंगे मन के अँगार ...