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जैसे सेघौरी मां सेन्दुर / बघेली

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बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जैसे सेधौरी मां सेन्दुर झलकै जैसे गंगा जल पानि
तैसे झलक दै के निकरी लड़ेलिदेई चौके मां बैठी आय
काहे बेटी अनमन काहे बेटी उनमन काहे बेटी बदन मलीन
मैं तोसे पूछौ बेटी तोर सोनवा मलीन धौ रुपवा है खोट
ना माया मोर सोनवा धूमिल ना रूपवा है खोट
हम धन गोर पिया मोर सांवर ये गुन बदन मलीन
सांवर सांवर ना करा बेटी सांवर है भगवान
संवरे कन्हैया मुख मुरली बजावै मोहि रहे संसार
माया के कोख कुम्हार के आंवा कोउ करिया कोउ गोर