भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जैहें नै / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
Kavita Kosh से
नद्दी किच्छा जैहें नै
गिरलोॅ-पड़लोॅ खैहें नै
खाना सॅे पानी पी दूना
रौद-बतासी रैहें नै
नद्दी किच्छा जैहें नै
शौचालय बाहर मत जो
बिना हाथ धोने मत खो
बढ़ियां जो बनना छौ नूनू
समय सॅ पहिनें इस्कूल जो।