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जै जै सियाराम / विनय राय ‘बबुरंग’

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चढ़ गइल दाम भाई चढ़ गइल दाम
अब का खइबऽ ए बुधि राम
ई मँहगाई दूर ना होई
केतनो भरल रही गोदाम
जै जै सियाराम। जै जै सियाराम।।

जियते जिनिगी का हो गईल
चक्रव्यूह में जा फंस गईल
कइसे टूटी सतवां फाटक
करे ना बुद्धि तनिको काम। जै जै सियाराम.......

राष्ट्रगीत हम जन गण गाईं
रोटी खातिर सगरो धाईं
आस दिलावल जाता बाकी
बगल में छूरी मुँह में राम। जै जै सियाराम.....

जब एऽटम से होई लड़ाई
जन-जन पर आफत घहराई
पैदा होइहें लूल-अपाहिज
गाँव-नगर मची कोहराम। जै जै सियाराम.......

दे दे राम दिला दे राम
भर दे झोली दाता राम
जबले भरी ना झोली भइया
दफ्तर में ना होई काम। जै जै सियाराम.......

मिलल आजादी लूट राम
खुफिया जानी त जाने राम
बहुत करी त जेल देखाई
कष्ट ना होई मिली आराम। जै जै सियाराम.......

नयी सदी क जुग चल आइल
ऊहे कुरसी नियम भेंटाइल
भले मुबारक देलऽ भइया
तब्बो गला रेताई राम। जै जै सियाराम.......

अइसन जहर हवा में मीलल
मुरझल चेहरा नहिये खीलल
बिसवीं सदी में मिलल आजादी
इकइसवीं में का होइ राम? जै जै सियाराम.......

आग लगी घर-घर में राम
नइया फँसी भंवर में राम
नाहीं कहीं किनारा लउकी
नाहीं केहू खेवइया राम। जै जै सियाराम.......

सब दौड़ी स्वारथ क पीछे
केहु ना देखी आगे पीछे
आगे कुइंया बगल में खाईं
अइसन खतरा आई राम।
जै जै सियाराम। जै जै सियाराम.......