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जै री माता तू सतजुग की कहिए राणी / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
जै री माता तू सतजुग की कहिए राणी
रसते में बाग लुगाया माता सतजुग की।
पाछा तो फिरके देखो रे लोको,
आम्ब अरनीबू झड़न लागे माता सतजुग की।
माता की राह में बांझ पुकारे,
माता देह री पुत्तर घर जाएं माता सतजुग की।
पाछा तो फिर के देखो रे लोगो
पुत्तर खिलांदी घर जाए माता सतजुग की।