जॉन ! गुज़ाश्त-ए-वक्त की हालत-ए-हाल पर सलाम
उस के फ़िराक को दुआ, उसके विसाल पर सलाम 
तेरा सितम भी था करम, तेरा करम भी था सितम 
बंदगी तेरी तेग को, और तेरी ढाल पर सलाम 
सूद-ओ-जयां के फर्क का अब नहीं हम से वास्ता 
सुबह को अर्ज़-ए-कोर्निश, शाम-ए-मलाल पर सलाम 
अब तो नहीं है लज्ज़त-ए-मुमकिन-ए-शौक भी नसीब
रोज़-ओ-शब ज़माना-ए-शौक महाल पर सलाम 
हिज्र-ए-सवाल के है दिन, हिज्र-ए-जवाब के हैं दिन 
उस के जवाब पर सलाम, अपने सवाल पर सलाम
जाने वोह रंग-ए-मस्ती-ए-ख्वाब-ओ-ख्याल क्या हुई?
इशरत-ए-ख्वाब की सना, ऐश-ए-ख्याल पर सलाम
अपना कमाल था अजब, अपना ज़वाल था अजब 
अपने कमाल पर दारूद, अपने ज़वाल पर सलाम