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जोगँ हमै जानताँ सदासिब, होइतअ जमाय हे / अंगिका लोकगीत
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♦ रचनाकार: अज्ञात
जोगँ<ref>अगर</ref> हमैं जानताँ<ref>जानता</ref> सदासिब<ref>जो हमेशा मंगलदायक हो; शिव</ref>, होइतअ जमाय हे।
तेसरक<ref>तसर की</ref> धोती राखताँ जोगाय<ref>संचित करके; सँभाल करके</ref> हे॥1॥
सोना केर मौरी राखताँ बेसाय<ref>खरीदकर</ref> हे।
हमैं नाहिं जानल्हाँ सदासिब, होइतअ जमाय हे॥2॥
शब्दार्थ
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