जोडूं हाथ बलम तैं तेरे आगे / हरियाणवी
जोडूं हाथ बलम तैं तेरे आगे अब तूं मुंह से कहदे
छठ देखण ने मैं जाऊं बलमा एक रुपया दे दे
कहा कहे तूं धरती फारै सुणिये मेरी प्यारी
छठ देखण ना जाया करती भले घरां की नारी
संग सहेली जाये चोक की मैं कैसे रुक जाऊं
वहां दो आने की पऊवा बिकती जाय जलेबी खाऊं
लड्डू पेड़ा और जलेबी सभी माल आजांगै
छठ पै ऐसे नंग आवैं चोंट चोंट खा जांगे
ऐसो क्या मेरो हाथ नहीं हैं जो मैं चुटवा लूंगी
काढ़ पना मोढे पर मारूं सौ सौ गारी दूंगी
मुंह से तो तूं समझा ली ईब लाठी धर लूंगा
हरसुख नाट गयो है मुंह ते जाण कभी ना दूंगा
देखा जावै तू और हरसुख कैसे लठ धरोगे
पीहर जाये रहूंगी जब मेरो काहे करोगे
देखा जाए तेरो पीहर कब लौ नार डटेगी
नई उमर बालक ना पैदा केसे उमर कटेगी
कहा करूं कित जाए छाती पै पहार धर्यो है
औरो जाय करूंगी क्या पानी सो देस भर्यो है
देखूं तोहे नार आबदार कैसे खसम करेगी
काहे रंडवा के घर पिटती रोज फिरेगी