भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जोतिया के बतिया के / कन्हैया लाल पण्डित

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हाथ जोड़ि विनती करी ना गुरुदेव जी के
चरन के धुरी लेई माथ प चढ़ाइना
बेरी-बेरी सुमिरीना गुरु के चरनिया के
नाथ अब पनिया से पिण्ड के सँवारी ना
दिहनी जे मंतर त मंतर के सिद्धी दिहीं
जोतिया के बतिया के नाथ उसुकाई नां
योगवा के बोरसी में आग लहकाईं आईं
प्रेमवा के अगिया में काया धधकाई नां