जो अब माँ नहीं रही / रश्मि रेखा
पूरे शरीर पर माँ बनने के निशान 
टपक पड़ता दूध 
आधा घिसा साबुन 
बचा हुआ पाउडर तेल 
तुम्हारी गंध से रचे-बसे कपड़े
अनछुए खिलौनें 
पति की आँखों का सूनापन 
और इन सब के बीच मैं तुम्हारी माँ 
जो अब माँ नहीं रही 
ले गए तुम यह संबोधन भी अपने साथ 
अभी ठीक से पहचाना भी नहीं था दुनिया को 
कि पहली बार बनी माँ की
 उल्लसित बाहों से निकल कर 
रह गए तस्वीरों में तुम 
साथ महज एक माह का नहीं 
नौ  महीनें रक्त से सींचने का भी था 
मैनें पृथ्वी की तरह महसूस किया था 
अंकुरित हो रहे पौधें की तरह 
धीरे-धीरे तुम्हारा बढ़ना 
कानों ने नहीं मेरी आत्मा ने सुनी थी 
तुम्हारी धड़कनें 
मुझे और कितनी अधूरी कर गई 
नारीत्व की यह अभिशापित पूर्णता 
दुआओं और संत्व्नाओं के 
हजार-हजार शब्द भी 
नहीं रच सकते मेरा शोकगीत
	
	