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जो उठाई है ध्वजा / त्रिलोचन

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जो उठाई है ध्वजा झुकने न देना


प्राणमय विश्वास बन कर गीत लहराए

वायु की चंचल लहर पर केतु फहराए

चरण बढ़ते जायँ

अंक बनते जायँ

जो दिखाई है प्रगति रुकने न देना


देस और विदेस से ध्वनि पास आती है

जग गई जनता, भरी, है राह, गाती है

विजय का उल्लास

गूँजता आकास

जो जगाई शक्ति है लुकने न देना


विश्व का संघर्ष बढ़ कर पास आता है

है असंभव दूर रहना व्योम गाता है

बैठ कर असहाय सोच सोच उपाय

जो लगाई लौ कभी चुकने न देना

(रचना-काल - 02-11-48)