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जो करके बंद आंखों को यहां चुपचाप बैठे हैं / भावना

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जो करके बंद आंखों को यहां चुपचाप बैठे हैं
सियासत की सभी गहराइयों को नाप बैठे हैं

यही अपराध है उनका कि दोनों प्रेम कर बैठे
सज़ा जिनके लिए लेकर यहां के 'खाप' बैठे हैं

जो केवल स्वार्थ से लिपटे हुए हैं पांव से सर तक
वही तो देश की धरती पे बन अभिशाप बैठे हैं

वहां उम्मीद क्या होगी सुरक्षा की, कहो तुम ही
जहां पे कुंडली मारे हज़ारों सांप बैठे हैं

न जाने कितने जन्मों का जिगर में बोझ को लेकर
लिए हाथों में माला को वो करने जाप बैठे हैं

सियासत के सिंहासन पर सभी हैं एक-ही जैसे
जहां थे वे कभी बैठे, वहां पे आप बैठे हैं