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जो कहता है सो कहता है वही दिन रात कहता है / शोभा कुक्कल

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जो कहता है सो कहता है वही दिन रात कहता है
वो दीवाना है वी हर दम किसी मस्ती में रहता है

किसी से कब वो कोई अपने दिल का राज़ कहता है
वो अपने सारे सदमे आप अपनी जां पे सहता है

वो शायद चांद तारों की हसीं दुनिया में रहता है
वो अपनी धुन में इस दुनिया को अक्सर हेच कहता है

कभी तो अश्क़ उसकी आंख से आते हैं रुक रुक कर
कभी बहते हैं ऐसे झरना जैसे कोई बहता है

बुज़ुर्गों की दुआ लेना मिरी आदत है देरीना
मिरा सर सामने उनके हमेशा खम ही रहता है।