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जो कुछ भी हो / कीर्ति चौधरी
Kavita Kosh से
जो कुछ मैंने लिखा, तुम्हीं से लेकर तो
समझा भी, जो गा जाते हो, मेरा ही है
पर देखो तो आदर जब-जब देना चाहा
तुमको ही दिया न अपने को जो सच तुम थे ।