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जो गीत तुम्हारे लिए लिखे / कमलेश द्विवेदी

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जो गीत तुम्हारे लिए लिखे वे कितना साथ निभाते हैं।
जो कभी रिझाते थे तुमको वे घर का ख़र्च चलाते हैं।

बच्चों के खाने-कपड़े से
लेकर उनकी सब इच्छायें।
पूरी करते हैं गीत यही
यह राज़ तुम्हें हम बतलाये।
जो गीत तुम्हें दुलराते थे बच्चों की फीस चुकाते हैं।
जो गीत तुम्हारे लिए लिखे वे कितना साथ निभाते हैं।

यों तो पत्नी के तन पर कुछ
सोने-चाँदी के गहने हैं।
लेकिन सच पूछो तो उसने
कुछ गीत हमारे पहने हैं।
जो गीत तुम्हें सुख देते थे वे उसको सुख पहुँचाते हैं।
जो गीत तुम्हारे लिए लिखे वे कितना साथ निभाते हैं।
घर में कोई बीमार पड़े
ये गीत दवा लाकर देते।
कितना भी गहन अँधेरा हो
ये गीत उजाला कर देते।
जिनको तुम छुपकर गाते थे उनको हम खुलकर गाते है।
जो गीत तुम्हारे लिए लिखे वे कितना साथ निभाते हैं।

ये गीत हमारी बिटिया के
हाथों को पीला कर देंगे।
जो इतना सब कुछ देते हैं
हर सपना पूरा कर देंगे।
जो गीत तुम्हारी आशा थे कितना विश्वास जगाते हैं।
जो गीत तुम्हारे लिए लिखे वे कितना साथ निभाते हैं।