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जो घिरते मेघ तो बरसात होती / रंजना वर्मा
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जो घिरते मेघ तो बरसात होती।
जमीं को बूँद हर सौगात होती॥
हमेशा दूर से करते इशारे
कभी मिलते अगर तो बात होती॥
धुला होता शज़र हर चाँदनी में
बड़ी प्यारी सुहानी रात होती॥
किसी के देख आँसू रो पड़े ग़र
वही तो हद्दे एहसासात होती॥
अगर वह अपने दिल की बात कहते
इधर भी बारिशे जज़्बात होती॥