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जो चले, वे ही आगे बढ़े / शिवराम
Kavita Kosh से
जुए के तले ही सही
जो चले
वे ही आगे बढ़े
जिनकी गर्दन पर भार होता है
उनके ह्रदय में ही क्षोभ होता है
कैद होते हैं जिनके अरमान
वे ही देखते हैं मुक्ति के स्वप्न
जो स्वप्न देखते हैं
वे ही लड़ते हैं
जो लड़ते हैं
वे ही आगे बढ़ते हैं
जो खूँटों से बँधे रहे
बँधे के बँधे रह गये
जो अपनी जगह अड़े रहे
अड़े के अड़े रह गये।