जो चाहती दुनिया है वो मुझसे नहीं होगा
समझौता कोई ख़्वाब के बदले नहीं होगा
अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरी
ये काम मगर मुझसे अकेले नहीं होगा
खुशफ़हमी अभी तक थी यही कारे-जुनूँ में
जो मैं नहीं कर पाया किसी से नहीं होगा
तदबीर कोई सोच कोई ऐ दिले-सादा
माइल-ब-करम तुझपे वो ऐसे नहीं होगा
बेनाम-से इक ख़ौफ़ से दिल क्यों है परेशां
जब तय है कि कुछ वक़्त से पहले नहीं होगा।