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जो चाहो, इन्तज़ाम करो, अपनी बला से / जयप्रकाश त्रिपाठी
Kavita Kosh से
हाँफो-काँपो या ठिठुरो, अपनी बला से।
मरते हो ठण्ड में तो मरो, अपनी बला से।
ठेके नहीं ले रखे हैं उसने अलाव के
जो चाहो, इन्तज़ाम करो, अपनी बला से।
मतदान करके कौन सा एहसान किया है
बेचैन हो, धीरज तो धरो, अपनी बला से।
कम्बल, रजाई, हीटर खैरात में हैं क्या,
पहले तो अपना कर्ज़ भरो, अपनी बला से।
डरना तुम्हारा धर्म है, डरना तुम्हारा कर्म,
डरना मना नहीं है, डरो, अपनी बला से।
समझाना मेरा काम था, समझा दिया तुम्हे
तुम सुधरो या मत सुधरो, अपनी बला से।