भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जो दिल तेरा सो मेरा रे नइहर वाली / मगही

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जो दिल तेरा सो मेरा रे नइहर वाली, मेरा रे अब्बा वाली॥1॥
तेरे कारन लाड़ो दिल्ली भी जायँगे।
अरे, टीके का करु<ref>करूँगा</ref> बनिजार<ref>व्यापार</ref> रे नइहर वाली।
मोतिये का करु बनिजार रे नइहर वाली।
जो दिल तेरा सो, मेरा रे नइहर वाली, मेरा रे भइया वाली॥2॥
तेरे कारन लाड़ो दिल्ली भी जायेंगे।
अरे, बेसर<ref>नाक का प्रसिद्ध आभूषण</ref> का करु बनिजार रे नइहर वाली।
चुनिये<ref>माणिक या लाल का छोटा टुकड़ा, छोटा नग</ref> का करु बनिजार रे नइहर वाली।
जो दिल तेरा सो मेरा रे नइहर वाली, मेरा रे भइया वाली॥3॥

शब्दार्थ
<references/>