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जो नहीं है उसी की चाहत है / हरि फ़ैज़ाबादी
Kavita Kosh से
जो नहीं है उसी की चाहत है
नाम शायद इसी का फ़ितरत है
जैसी नीयत है वैसी बरकत है
ये कहावत नहीं हक़ीक़त है
हाथ ख़ाली है दिल में गै़रत है
ये तो मुझपे ख़ुदा की रहमत है
हम परेशान तो रहेंगे ही
हम अमल जब ख़िलाफ़-ए-क़ुदरत है
दिल से माँ-बाप की दुआ ले लो
ज़िंदगी की इसी में राहत है