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जो प्रकृति से मिली वह संजोई नहीं / अभिषेक औदिच्य

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जो प्रकृति से मिली वह संजोई नहीं।
और दौलत कमाने से क्या फायदा?

अग्नि, जल, वायु, आकाश, या फिर मृदा,
तत्व जो मूल हैं सब प्रदूषित हुए।

हमने उत्पादनों को बढ़ाया मगर,
जो मिले सृष्टि से वे विनाशित हुए।

जब धरा आग का एक गोला बनी,
घर में ऐ0सी0 लगाने से क्या फायदा?

अस्थि-दाताओं के वंशजों क्या हुआ?
सृष्टि से सब लिया पर दिया कुछ नहीं।

वृक्ष संख्या में कितनी गिरावट हुई,
आंकड़ा पढ़ लिया पर किया कुछ नहीं।

जब सर्जन के विषय में ही सोचा नहीं,
तो प्रगति गीत गाने से क्या फायदा?

पीढ़ियों को विरासत में क्या देंगे हम?
प्रश्न ही जस के तस या कि हल देने हैं।

वृक्ष या धन, भवन सोच लो ध्यान से,
प्राण देने हैं या बस महल देने हैं।

जब दुआरे का पीपल ही छोड़ा नहीं,
सम्पदा छोड़ जाने से क्या फायदा?