जो भी उसको मिला नहीं कहता।
जो भला है बुरा नहीं कहता॥
दर्द औरों का बाँट लेता है
खुद को लेकिन ख़ुदा नहीं कहता॥
अश्क़ पलकों पर हैं रुके लेकिन
दिल को वह ग़मज़दा नहीं कहता॥
आह भरता है टीस भी उठती
दर्द को पर दवा नहीं कहता॥
तोड़ देता है हर कसम अपनी
क्यों नहीं की वफ़ा नहीं कहता॥
हर कदम साथ-साथ जो चलती
धूल को रास्ता नहीं कहता॥
जो शजर काट दिया है उसने
जिंदगी भर दिया नहीं कहता॥