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जो भी गलती है मेरी बता दे मुझे / कैलाश झा 'किंकर'
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					जो भी गलती है मेरी बता दे मुझे
इस तरह मत नज़र से गिरा दे मुझे। 
बात रखने का कोई भी मौका नहीं
बिन ख़ता हिटलरी मत सजा दे मुझे। 
गाँव में माँ जो मुझको खिलाती थी वो
साग-रोटी बनाकर खिला दे मुझे। 
मर्ज़ का ही अभी तक पता जब नहीं
कैसे कह दूँ कि कोई दवा दे मुझे। 
जीत लेते हैं कैसे जहाँ प्यार से
यह हुनर भी कोई अब सिखा दे मुझे। 
मैं तो फोनी में बिल्कुल फ़ना हो गया
अब लहद में ज़रा-सा सुला दे मुझे।
	
	