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जो भी रचना हुई निदान के साथ / कैलाश झा 'किंकर'
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जो भी रचना हुई निदान के साथ
उसको आदर मिला है मान के साथ।
आपसे दोस्ती पुरानी है
निभती आई जो ख़ानदान के साथ।
ले गयी है पुलिस पकड़ के उसे
वो जो पकड़ा गया निशान के साथ।
जिसकी माता-पिता से है दूरी
घूमता है सुबह में श्वान के साथ।
अब तो विज्ञान भी चरम पर है
हर तरक्क़ी है आसमान के साथ।
राज़ खुलता है खुलता आया है
झूठ चलता न आँख-कान के साथ।