लोग भूल जाते हैं
कौन लोग थे
जो उम्हें इतिहास निकाल कर लाए
उन्हें खींचते रहे
उनकी गर्म रजाइयों से बाहर
लकड़ियाँ इकट्ठी करते रहे
कहीं मौसम ज़्यादा ख़राब न हो जाए
उनके सहमे हुए घरों में आवाज़ बनकर रहे
लोग भूल जाते हैं वसन्त आते ही
कौन थे जो मर गए पिछली सर्दियों में।