जो मिरा इक महबूब है । मत पूछिए वो क्या खूब है /
आँखें उसकी काली हँसी, दो डग चले बस डूब है /
पकड उसकी सख्त है । पर छूना उसका दूब है /
हैं पाँव उसके चँचल बहुत, रूकें तो पाहन बाख़ूब हैं
जो मिरा इक महबूब है मत पूछिए वो क्या खूब है ....
जो मिरा इक महबूब है । मत पूछिए वो क्या खूब है /
आँखें उसकी काली हँसी, दो डग चले बस डूब है /
पकड उसकी सख्त है । पर छूना उसका दूब है /
हैं पाँव उसके चँचल बहुत, रूकें तो पाहन बाख़ूब हैं
जो मिरा इक महबूब है मत पूछिए वो क्या खूब है ....