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जो मिली उस जिंदगी पे नाज़ है / रंजना वर्मा

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जो मिली उस जिंदगी पे नाज़ है
कम सही जो है उसी पे नाज़ है
 
चार दिन रब से मिले तो क्या हुआ
कर रहे जो बन्दगी पे नाज़ है

आसमाँ में हैं सितारे खिल रहे
हमको उनकी रौशनी पे नाज़ है

खूबसूरत एक गुलशन है वतन
मुस्कुराती हर कली पे नाज़ है

हर मुसीबत में सहारा है तेरा
हमको तेरी दोस्ती पे नाज़ है

होश है किस को मुहब्बत में रहा
सबको अपनी आशिक़ी पे नाज़ है

नाम ले रब का भुलाया है जहाँ
अब हमें इस बेखुदी पे नाज़ है