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जो रंग डाले तन मन सारा / आदर्श सिंह 'निखिल'
Kavita Kosh से
इस होली में वो रंग बरसे
जो रंग डाले तन मन सारा।
वो रंग जिसमे हो प्रेम भरा
रंग सतत सफलता का मानी
रंग जो समृद्धि अवाहक हो
ज्यों धरती की चूनर धानी
जन जन के मन मे हो अविरल
सौहार्द प्रेम रंग की धारा।
हो एक रंग मानवता का
जिसमे हो जग बंधुत्व कथा
रंग एक अनोखा जो ढँक ले
आंसू करुणा सब पीर व्यथा
अमृत कर दे नव रंग सहज
निर्मल कर दे सब जल खारा।
हो एक रंग जो कांटो को
रंग दे रंग कर तितली कर दे
श्वानों के कर्कश नादों को
जो रंग सहज मुरली कर दे
उन रंगों से पथ सुगम रहे
हों रंग दीप्त ज्यों ध्रुव तारा।