जो रचता है वह मारा नहीं जा सकता / भगवत रावत
मारने से कोई मर नहीं सकता
मिटाने से कोई मिट नहीं सकता
गिराने से कोई गिर नहीं सकता
इतनी सी बात मानने के लिए
इतिहास तक भी जाने की ज़रूरत नहीं
अपने आसपास घूम-फिरकर ही
देख लीजिए
क्या कभी आप किसी के मारने से मरे
किसी के मिटाने से मिटे
या गिराने से गिरे
इसका उल्टा भी करके देख लीजिए
क्या आपके मारने से कोई .....
ख़ैर छोड़िए
हाँ हत्या हो सकती है आपकी
और आप उनमें शामिल होना चाहें
तो आप भी हत्यारे हो सकते हैं
बेहद आसान है यह
सिर्फ मनुष्य-विरोधी ही तो होना है
आपको
इन दिनों ख़ूब फल-फूल भी रहा है यह
कारोबार
हार जगह खुली हुईं हैं उसकी एजेंसियाँ
बड़े-बड़े देशों में तो उसके
शो-रूम तक खुले हुए हैं
तोपों के कारख़ानों के मालिकों से लेकर
तमंचा हाथ में लिए
या कमर में बम बाँधे हुए
गलियों में छिपकर घूमते चेहरों में
कोई अंतर कहाँ है
इस सबके बावजूद
जो जीता है सचमुच
वह अपनी शर्तों पर जीता है
किसी की दया के दान पर नहीं
वह अर्जित करता है जीवन
अपनी निचुड़ती
आत्मा की एक-एक बूँद से
उसकी हत्या की जा सकती है
उसे मारा नहीं जा सकता
इस सबके बावजूद वह रहता है
दूसरों को हटा-हटा कर
चुपचाप ऊँचे आसन पर जा बैठे
दोमुँहे, लालची, लोलुप आदमी की तरह नहीं
अपनी ज़मीन पर उगे
पौधे की तरह,
लहराता
निर्विकल्प
निर्भीक
दुनिया का सबसे कठिन काम है जीना
और उससे भी कठिन उसे, शब्द के
अर्थ की तरह रचकर दिखा पाना
जो रचता है वह मारा नहीं जा सकता
जो मारता है, उसे सबसे पहले
ख़ुद मरना पड़ता है |