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जो रूठे उन्हें मनाना है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
जो रूठे उन्हें मनाना है।
धरती को स्वर्ग बनाना है॥
जग को जीवन देने वाले
वृक्षों को पुनः लगाना है॥
हरियाली की मोहक चूनर
माँ वसुधा को पहनाना है॥
जल ही जीवन है कह-कह कर
अब समय न व्यर्थ गंवाना है॥
जो प्यास बुझाती है जग की
नदियों को स्वच्छ बनाना है॥
फिर से दृढ़ हो ओजोन परत
कुछ ऐसा यत्न कराना है॥
अपने घर आंगन उपवन को
फिर फूलों से महकाना है॥