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जो रे जमदूत अभी अइर्हे तो फेर कभी / अनिल शंकर झा

जो रे जमदूत अभी अइर्हे तो फेर कभी
मौत के सनेश तभी, हमरा सुनइर्हे।
तन में पियास अभी, मन में हुलास अभी
दिल में उसास तनी, अभी ना उठइर्हे।
अभी तेॅ विहान होलै, जिनगी जुआन होलै
तनी सुख मान होलै, अभी ना रूलइर्हे।
दुनिया में एक पर, एक सुख भूमि पर
रूक तनी देर कर, अभी ना ले जइर्हे॥