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जो सच बोलता है ग़लत बोलता है / रंजना वर्मा
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जो सच बोलता है ग़लत बोलता है।
नहीं चुप क्यों रहता बहुत बोलता है॥
अधर सूखते हैं बहुत कंठ प्यासा
उफनता समंदर इधर डोलता है॥
हमेशा है सूली चढ़ाया गया वह
छिपाये गये राज़ जो खोलता है॥
बिना सोचे समझे जुबां खोलते हो
है पंछी भी उड़ता तो पर तोलता है॥
जिसे हम समझते हैं हमदर्द अपना
वही ज़िन्दगी में जहर घोलता है॥